Muh ke cancer ka ilaj in hindi – Muh Ke Chalo Ka Upchar मुँह के रोग की संपूर्ण जानकारी आज की पोस्ट में हम मुख के रोग, मुँह में छाले, मुँह की दुर्गंध, दांतों में दर्द, मसूड़ों का फूलना, होठों का फटना, पायरिया, दंत – सुरक्षा ज़रूरी, नकसीर फूटना और गले में जब कुछ फँस जाएं। इनके बारे में हम आपको अच्छी तरह बातएँगे।
Muh ke cancer ka ilaj in hindi
मुंह में छाले :-
मुंह में छाले होना आम बात है। यह मुसीबत बाहर से नहीं आती ,बल्कि हमारी अनियमित दिनचर्या और उल्टा – सीधा खाने का दुष्परिणाम है। छोटे बड़े और जवान बुड्ढे कोई इससे बच नहीं पाते है।
मुंह में छालो के कारण :-
अनियमित दिनचर्या गलत आहार-विहार चटपटी और मसालेदार चीजों का ज्यादातर सेवन ,बाजार की बनी बांसी चीजें खाने ,समय पर शौचालय न जाने या उसे दबाने पर पेट में कब्ज बनने लगती है। और फिर पेट में गर्मी बढ़ जाती है ,मल कठोर हो जाता है और पेट साफ नहीं होता। परिणाम स्वरूप मल -वायु कुपित होकर ऊपर चढ़ने लगते हैं और मुंह में छाले के रूप में सामने आते हैं।
मुंह में छालो की सावधानियां :-
मुंह के छालों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है, क्योंकि यह बीमारी हमारी समय की पैदा की गई है:
1 सबसे पहले तो अपने दिनचर्या बदलें। प्रातः जल्दी जागे, उठते ही एक गिलास ठंडा पानी पिए, फिर शौचालय जाए। जब तक कब्ज बनी रहेगी, तब तक छालों से निजात संभव नहीं।
2 कब्ज दूर करने के लिए ईसबगोल की भूसी, त्रिफला चूर्ण तथा सलाद का सेवन करें। कब्ज निवारक फल अमरूद, पपीता आदि खाएं।
3 अधिक जली – भुनी तथा तली और देर से पचने वाले खाद्य -पदार्थों का सेवन न करें। इसके स्थान पर हरी सब्जियां, दूध, छाछ, दही का अधिक सेवन करें।
4 चाय- कॉफी का सेवन कम- से- कम मात्रा में करें। इसके अलावा धूम्रपान बिल्कुल ना करें।
5 वजन हल्का और सुपाच्य करें। शाम के भोजन में दलिया खिचड़ी ले।
6 जिन लोगों को बार-बार छाले होते हैं, वे टमाटर अधिक खाएं तथा प्रातः पपीता ,अमरूद आदि फल खाएं।चाय -कॉफी बिल्कुल ना लें, बल्कि इसके स्थान पर नींबू पानी पिए पानी तथा तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें। प्रातः थोड़ा-बहुत व्यायाम अवश्य करें, देर तक न सोए ।बार-बार खाने की आदत को बदलें।
Muh Ke Cancer Ka ilaj
छालो से परेशान है तो प्रातः 1 या 2 पका केला तथा भोजन के बाद एक – दो टुकड़े पेठा अवश्य खाएं।
1. दिन में दो-तीन बार कच्चे नारियल के दो -तीन टुकड़े और चिरौंजी चबाकर खाएं।
2. रात में एक गिलास दूध में दो चम्मच गाय का शुद्ध घी डालकर पिए तथा सुबह शौच जाने से पहले एक गिलास पानी में नींबू निचोड़ कर थोड़ी शक्कर मिलाकर पीते रहने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
3. एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच पिसी हल्दी डालकर पीएं। छालों में राहत मिलेगी।
4. चमेली के पत्तों को चबाकर थूकते जाए। छाले ठीक हो जाएंगे।
5. मेहंदी के पत्तों को रात को पानी में भिगोकर रख दें।सुबह पानी को छानकर उससे कुल्ली करते रहने पर छाले ठीक हो जाते हैं।
6. जामुन के नरम व कोमल पत्तों को उबालकर ,उस पानी से कुल्ला करें।
7. छोटी हरड़ को बारीक पीसकर छालों पर लगाने से मुंह ,होंठ तथा जीभ के छाले ठीक हो जाते हैं। रात को भोजन के बाद एक हरड़ चूसें।
8. छोटी इलायची पीस कर छालों पर बुर्के और लार गिरने दे,दिन में दो-तीन बार ऐसा करने से आराम मिलता है।
9. ताजा फिका दही खाने ,तुलसी की चार -पांच पतियों को चबाकर ऊपर से पानी पिए, गुड़ की डली को मुंह में रखने से भी मुंह के छाले दूर होते हैं।
10. मीठा देसी पान धीरे-धीरे चबाकर खाएं, इसमें चुना ना लगवाएं, बल्कि कत्था ज्यादा लगाएं, इससे मुंह में छालों के कारण उठने वाली जलन शांत होगी।
11. रात्रि में सोने से पूर्व मुँह के अंदर तथा छालों पर देसी घी लगाकर सोएँ।
12. अजवाइन तथा जीरा सम मात्रा में लेकर तवे पर भून लें ,इसे पीसकर काला नमक मिलाएँ। इस प्रकार बने पाचक चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के बाद सेवन किया करें। हाजमा दुरुस्त रहेगा।
13. हरी सब्ज़ियाँ सलाद के रूप में खाये तो अति उत्तम रहेगा। पेट में कब्ज नहीं बनेगी। छालों के दौरान चावल अधिक ना खाएं।
मुँह की दुर्गंध – muh me infection ke lakshan
मुंह की दुर्गंध एक आम समस्या है, इसके कारण व्यक्ति को समाज में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
आखिर संव्य को मुंह की दुर्गंध का पता कैसे लगे ? यह जानने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं।
1. एक हाथ से अपनी जीभ को थोड़ा बाहर खीँचे और दूसरे हाथ से एक रूई के फाहे को जीभ के पिछले भाग पर रगड़ें। कुछ मिनट रुके और फिर उस रुई को सूँघे, यदि उसमें दुर्गंध है। तो वह आपकी सांस की दुर्गंध के कारण है।
2. यदि आपकी मुंह का स्वाद अक्सर खराब रहता है तो वह भी दुर्गंध का एक संकेत है।
3. अपने किसी मित्र या संबंधी से सच – सच बताने को कहें कि आपके मुंह से दुर्गंध आती है या नहीं। हो सकता है कि सच्चाई कड़वी हो, परंतु उसका पता चलने पर कोई उपाय तो कर सकते हैं।
Muh ke cancer ka ilaj in hindi – मुँह की दुर्गंध के उपाय
निम्नलिखित उपाय करके आप अपने मुंह की दुर्गंध से बहुत हद तक छुटकारा पा सकते हैं और अपनी सांसो में ताज़गी भर सकते है।
1.प्रत्येक भोजन के पश्चात टूथब्रश से दांतो, मसूढो और जीभ को अच्छी तरह साफ करें।
2. कुछ खाने के बाद यदि ब्रश करना संभव न हो पाए तो कम से कम पानी से अच्छी तरह कुल्ला तो जरूर करें, ताकि दांतो और मसूड़ों में फंसे भोजन के कण निकल जाए।
3. अधिकाधिक तरल पदार्थों, विशेषकर पानी का सेवन करें, ताकि मुंह में वांछित नमी बनी रहे।
4. कच्ची सब्जियों और फलों के सेवन को महत्व दें। गाजर या सेब आदि खाने से एक ओर जहां स्लाइवा सर्वाधिक मात्रा में बनता है, वहीं कुछ डॉक्टरों का मानना है कि ये दाँतो पर जमी प्लाक को भी साफ करते हैं।
5. यदि आप डेंचर का इस्तेमाल करते हैं तो बार – बार धोएं और कभी-कभी किसी एंटीसेप्टिक द्रव्य में भिगोकर रखें।
6. धूम्रपान न करें। अधिकतर लोग यह तो जानते हैं कि धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है। उनमें से एक मुंह की दुर्गंध भी है, अतः इससे छुटकारा पाना है तो पहले इस आदत को छोड़ें।
7. दुर्गंध अगर पुरानी है तो घर से बाहर निकलते समय मुख में एक इलायची तथा लोंग रख कर धीरे- धीरे चबाएं।
8. यदि दुर्गंध लगातार आती है तो प्रातः शौच के बाद नीम की पांच तथा तुलसी की तीन पत्तियां मिलाकर उसमें काला नमक रखकर पान की तरह चबाएं करें।
9. भोजन के बाद हल्के गर्म पानी में फिटकरी डालकर गरारे की किया करें।
10. विटामिन ‘सी’ वाले पानी ,रसदार फलों -मौसमी ,संतरा ,माल्टा ,आंवला आदि की मात्रा अपने भोजन में बढ़ा दे।
11. रात्रि में शयन से पूर्व नासिका तथा नाभि में सरसों के तेल से मालिश करें।
12. मुख- दुर्गंध के नासिक के लिए बथुआ के पानी से कुल्ला गरारे करें।
13. सबसे अहम बात यह है कि हर समय कुछ भी खाने की आदत बदले या छोड़ दे। कुछ भी खाने के बाद मुख- शुद्धि अवश्य करें। मुँह की दुर्गंध फिर भी बनी रहे तो किसी अच्छे दंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। क्योंकि मुँह को शरीर का द्वार कहा गया है, अगर यही साफ नहीं रहेगा। तो इसके रास्ते शरीर में अनेकों बीमारियां प्रवेश कर जाएगी और आपको पता भी नहीं चलेगा।
दांतों में दर्द – Muh ke cancer ka ilaj in hindi
शरीर का स्वस्थ रहना पाचन तंत्र पर निर्भर करता है और पाचन तंत्र पूरी तरह दांतो पर निर्भर करता है। शरीर को ऊर्जा भोजन से मिलती है। भोजन जब दाँतो द्वारा भली प्रकार चबाया जाता है, तब उसका रस बनता है, जो शरीर में उर्जा और स्फूर्ति का संचार करता है। इस प्रकार दाँत स्वस्थ मनुष्य के लिए अति महत्वपूर्ण हैं।
भोजन करने या कुछ भी खाने के बाद कुल्ला या ब्रुस न करने से दांतों में अन्न के कण फसे रह जाते हैं, जो बाद में सड़कर दांतो की बीमारियों को जन्म देते हैं। इसी की वजह से दांत में कीड़ा लग जाता है। जिससे दांत और जाड़ो मैं अक्सर दर्द तथा टिसहोने लगती है। यह दर्द इतना भयंकर होता है कि सारा संसार घूमता दिखाई पड़ता है।
मसूढो का फूलना – masudo ka cancer
यह भी दांतो की आम परेशानी है कुछ भी ठंडा – गरम खाने या बादी वाले चीज खाने पर मसूढ़ों में पानी उतर आता है।और असहाय पीड़ा का कारण बनता है। मसूढ़ो के फूलने से गाल और जबड़े में सूजन आ जाती है।
इसके कारण कुछ भी चबाकर खाना असह्य हो जाता है। यहां तक कि मुंह पूरा खोलने में भी काफी दिक्कत सामने आती हैं।
मसूढो का फूलना घरेलू उपचार :-
निमन घरेलू उपाय काम में ला सकते है
1. जिस दांत या जाड़ में दर्द है, उस पर फिटकरी रख कर दबा लें और लार मुहँ से बाहर निकालते रहें हैं।
2. दर्द वाले या कीड़ा खाए दांत – जाड़ में लौंग के तेल का फ़ाया भिगोकर रखें।
3. कीड़ा लगे दांत – जाड़ में दर्द है तो उड़द दाने के बराबर हींग लेकर उसमें रख दे। दर्द में आराम मिलेगा, टिस शांत हो जाएगी।
4. दर्द वाले दांत – जाड़ में सेंधा नमक को तुलसी के रस में भिगोकर रखें या पिसे नमक से धीरे-धीरे दांत की मालिश करें।
5. मसूढे फुलकर दर्द है तो सरसों के तेल में आधा चम्मच खाने वाला सोडा मिलाकर धीरे-धीरे मसूढ़े की मालिश करें, और लार मुँह से बाहर गिराते रहें।
6. आधा चम्मच सेंधा या सफेद पिसा नमक हथेली पर रखें और उसमें चार बूंद सरसों का तेल मिलाएं, अब इससे दर्द वाले दांत या मसूढे की मालिश करें, तुरंत दर्द में राहत मिलेगी।
7. दाँतों में खून या पिपआकर दर्द होता है तो प्रातः बिना कुछ खाए नीम की चार कलियों में काला नमक रखकर पान की तरह नित्य चबाय करें। यह बहुत लाभकारी है।
8. विटामिन ‘सी’ की कमी से दाँत रोगीले हो जाते हैं ,अत: पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी का सेवन करें ।
9. खस,इलायची, लौंग तथा सेंधा नमक सब को बारीक पीसकर, दो – चार बूंद सरसों का तेल डालकर मंजन किया करें, दाँत स्वस्थ बने रहेंगे।
10. अजवायन को भूनकर काले नमक के साथ बारीक पीस लें ,इस पाउडर से नित्य मंचन किया करें।
11. गुटका ,चुटकी आदि दाँतोतथा स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। इन्हें इस्तेमाल ना करें।
12. किसी कारण से दाँत हिलने लगे है तो प्रातः ढाक की दातुन किया करें।
दाँत शर्तिया पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएंगे।
होठों का फटना :-
जब मौसम बदलता है तब होठों को इसकी मार झेलनी पड़ती है। कड़क सर्दी में तीखी ठंडी हवा से होंठ फट जाते हैं,उन में दरार पड़ जाती है। गर्मी की ख़ुश्क हवा और लू के थपेड़ों से भी होंठ शुष्क और व बेरौनक हो जाते हैं।
होंठ फटने पर ढंग से बोला भी नहीं जाता ।हंसना तो बहुत दूर की बात है। हरदम चिड़चिड़ाहट मची रहती है। जीभ को लाख रोकें पर होठों पर आए बिना नहीं रहती है। औरत -मर्द ,बाल -वृद्ध सबको यह पीड़ा झेलनी पड़ती है।
होठों का फटने पर घरेलू इलाज
होंठों की अगर उचित देखभाल की जाए तो इन परेशानियों से बचा जा सकता है। फटे होंठों को घरेलू उपचार से सुंदर और रसदार बनाया जा सकता है-
1. केसर को दूध की मलाई में रगड़ कर रात को होठों पर लगाकर सोए।
2. रात को सोते समय होठों पर गुलाब की पंखुड़ियों और मलाई का पेस्ट बनाकर लगाने से भी फायदा होता है।
3. अगर होंठ फट जाए तो वैसलीन या फिर किसी अच्छी कंपनी का लिप बाम लगाएँ।
4. पानी कम पीने से होंठ फटते हैं ।ऐसे में नियम से पानी पीने की आदत डालें। रोज कम -से -कम आठ 10 गिलास पानी जरूर पिया करें।
5. हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। ऐसे फल खाएं, जिसमें विटामिन भरपूर मात्रा में हो ।
6. होंठों को कभी भी दाँतो से नहीं चबाएं , इससे होंठों का आकार बिगड़ता है और होंठ देखने में भद्दे लगते हैं।
7. अगर होंठ ज्यादा फट रहे हों तो शहद व देसी घी लगाने से भी फायदा होगा। अगर होंठों पर घी लगाना नहीं चाहते तो रात को सोते समय घी हल्का सा गर्म करके नाभि मे लगाएँ। सुबह तक काफी फायदा होगा।
8. होंठों को गुलाबी बनाने के लिए उन पर लिपस्टिक या लिप गार्ड लगाएँ। इसके अतिरिक्त रात को सोने से पूर्व ग्लिसरीन में लाल गुलाब की पतियाँ पीसकर होंठों पर लगाएँ।
9. दूध की मलाई में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर मथ लें यह पेस्ट जैसा बन जाएगा। रात को सोने से पहले होंठों पर लगाएँ।
10. होठों को मुलायम और आभायुक्त बनाए रखने के लिए स्नान के बाद हमेशा नाभि में सरसों के तेल से हल्की मालिश किया करें।
11. अधिक शीत तथा अधिक गर्मी में होठों को ढककर रखें,इन्हें तीखी हवा से बचाएँ।
पायरिया :-
दाँतों के रोगों से स्वास्थ्य के अलावा सौंदर्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जहाँ एक और उजले और स्वस्थ दाँत मुख सौंदर्य पर चार चाँद लगा देते हैं, वहीं दूसरी ओर मैले , गंदे तथा रोगी दाँतों से मुख सौंदर्य मलिन दिखाई देता है।
पायरिया के लक्षण :-
यह रोग कब्ज और अजीर्ण से होता है। मसूड़ों से दुर्गंध आना, दाँतों का हिलना, दाँतो पर जरा भी उँगली लगने पर खून आना, ठंडा – गरम पानी लगना ,मीठा खाने पर अलग प्रकार की टीस होना, मजबूत चीज दबाने पर दाँतों में तीव्र पीड़ा होना और मंजन करने पर खून आना इस रोग के लक्षण है।
पायरिया का घरेलू इलाज :-
पायरिया से बचाव के लिए कुछ घरेलू इलाज हैं
1. नीम की पत्तियों को जलाकर सेंधा नमक और कपूर को पीसकर बनाए मंजन से पायरिया रोग मिटता है।
2. आंवला जलाकर सरसों के तेल में मिला लें धीरे-धीरे मसूढ़ो में मलने से पायरिया ठीक होता है।
3. नीम की कोमल पत्तियां, काली मिर्च और काला नमक मिलाकर पीस लें। और प्रतिदिन सेवन करने से रक्त शुद्ध होकर पायरिया तथा मुंह की दुर्गंध मिटती है।
4. खस, इलायची और लौंग तेल मिलाकर मसूड़ों में लगाएं।
5. जीरा, सेंधा नमक, हरड़, दालचीनी, दक्षिण सुपारी को संमभाग में लेकर बंद बर्तन में जला कर पीस लें और नियमित मंजन करने से पायरिया के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
6. पायरिया के रोगी को हमेशा पेट साफ रखना चाहिए और अधिक – से – अधिक मात्रा में हरी सब्जियों तथा फलों का सेवन करना चाहिए।
7. फिटकरी और काला नमक बारीक पीसकर दांतों पर मलने से दांत मजबूत होते हैं। और पायरिया भी ठीक हो जाता है।
8. सफेद कत्था फिटकरी को पीसकर हल्के गर्म पानी में ओटाऐ और कुल्ला करें। नियमित प्रयोग करने से दांत मजबूत होते हैं और पीलापन दूर हो जाता है।
9. मेहंदी के पत्तों के क्वाथ से कुल्ला करने से मसूढ़ों के असाध्य रोग मिटते हैं।
10. अजवाइन को तवे पर जलाकर उसका पाउडर बना लें और नियमित दातों को मंजन करें। मसूड़ों से रक्त बहना बंद होता है। और गले की पीड़ा मिटती।
11. पारिया के कारण मसूड़े फूल जाते हैं,उन में तीव्र वेदना होती है तो दो चुटकी खाना सोडा लेकर उसमें चार बूंद सरसों का तेल मिलाकर पीडित स्थान पर अँगुली से हल्की-हल्की मालिश करें, मुंह की लार व पानी बाहर गिरने दे। इससे दर्द में आराम मिलेगा।
12. नीम की 8 से 10 तांबई पत्तियों में काला नमक रखकर पान की तरह चबाए तथा मुँह में दोनों और घुमाते रहे, नियमित 30 दिन तक यह प्रक्रिया अपनाए और नीम की दातून करें, उसमे थोड़ी मात्रा में अलग से सादा या काला नमक मिला लें। इससे दाँत नियमित साफ़ करें, पायरिया से बचाव होगा।
13. कच्चे अमरूद को सुखाकर बारीक पीस ले, उसमे सेंधा नमक तथा चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाए। इस मंजन से नित्य दाँत साफ़ किया करें। दांत सुरक्षित बने रहेंगें।
दंत – सुरक्षा जरूरी – muh me infection ke lakshan
क्यों होते हैं दांत खराब :- दाँतो का क्षय होना एक सफेद धब्बे के रूप में शुरू होता है और फिर यह दबा काले रंग में बदल जाता है, जिसका आभास प्राय: मरीज को नहीं होता। इस स्थिति में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है। यह सूक्ष्म धब्बा निरंतर बढ़ता रहता है और कुछ सालों में दांतो को खोखला कर कैविटी का रूप धारण कर लेता है।
भोजन इस केवटी में जमा होता रहता है। और रोगी को गर्म और ठंडे पेय तथा मिठाई खाने पर हल्के दर्द का अनुभव होता है जब दांतों की गिरने, क्षय होने की स्थिति मसूड़ों के मुलायम स्थान, नस और रक्तवाहिनी नलिका तक पहुंच जाती है तो असहनीय दर्द होने लगता है।अगर रोगी द्वारा इस स्थिति को अनदेखा किया जाता है
तो दाँतो को गिरना, क्षय होना उस पूरे स्थान पर फैलकर दाँतो की जड़ और बाहरी हड्डी को प्रभावित करता है।उपचार नहीं कराने की स्थिति में जटिलताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। दंत क्षय ग्रसित दाँतो के प्रति लापरवाही बरतने से इनकी जड़ो पर मवाद का पड़ना, गांठ का बनना, जबड़ों की हड्डी का सड़ना जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
Muh ke cancer ka ilaj in hindi
दंत – रक्षा के उपाय :-
निम्न घरेलू उपाय कर सकते हैं।
1. इन सब स्थितियों से बचने का उपाय है, दांतों की उचित देखभाल। इसके लिए दाँतो को कम – से – कम 2 बार अवश्य साफ करना चाहिए। ब्रश इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि दांतों की सफाई के साथ मसूड़ों की मालिश भी हो जाए।
2. धूम्रपान, गुटका, सुपारी आदि से जहां तक हो सके परहेज करें।
3. दांतों में फंसे अन्न के कणों को कभी भी पिन, माचिस की तिल्ली या नुकीली चीज से निकालने की आदत नहीं डालें। इससे मसूड़े जख्मी हो सकते हैं।
4. विटामिन सी वाले फल, जैसे आँवल, अनन्नास, मौसमी नींबू, संतरा आदि खाएं।
5. गन्ना चूसने से भी मसूड़ों की कसरत और दांतो की सफाई होती है। इसलिए उपलब्ध हो तो गन्ने का प्रात: काल में नियमित सेवन करें।
6. समय-समय पर ब्रश बदलते रहना चाहिए।मंजन बारीक़ तथा नरम होना चाहिए और अच्छी किस्म का होना चाहिए।
7. पेशाब करते समय एवं शौच जाते समय मसूड़े दबाकर रखने से दांत मजबूत होते हैं। एंव निरोगी रहते हैं।
नकसीर फूटना :-
नकसीर फूटना आम बात है यह अपने आप में कोई रोग नहीं है, बल्कि किसी रोग का लक्षण भले हो सकता है। नकसीर फूटने या नाक से रक्त स्राव के अनेक कारण हो सकते हैं।
- गर्मी के कारण।
- रक्त कोशिकाओं में खून की अधिकता के कारण।
- नाक पर चोट लगने के कारण।
- रक्तचाप बढ़ जाने के कारण।
- स्कर्वी रोग में मसूड़ों के खुलने के कारण।
- नाक को जोर से खींचने के कारण।
कई बार नकसीर फूटने के कुछ क्षणों बाद ही रक्त स्त्राव बंद हो जाता है।कुछ केसों में नकसीर से थोड़ा सा ही खून निकलता है तो कुछ में खून की धार बंध जाती है। यह देखकर रोगी बदहवास हो जाता है। बार-बार और जल्दी-जल्दी नकसीर फूटे तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह किसी रोग का संकेत हो सकता है।
नकसीर फूटने पर उपाय
नकसीर फूटने पर घबराना नहीं चाहिए, बल्कि निम्न उपाय काम में लाएं।
1. रोगी को किसी ठंडे स्थान पर बिस्तर पर पीछे की और गर्दन करके तकिया लगाकर लिटा देना चाहिए।
2. सिर पर ठंडा पानी डालना चाहिए या बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
3. पक्के मीठे अंगूर का रस नाक के अंदर खींचने पर नकसीर बंद हो जाती है।
4. जिन्हें बार-बार नकसीर फूटती है, वे सूखे आंवलो को रात भर भिगोकर प्रातः उस पानी से सिर धोया करें।
5. आंवले के मुरब्बे का सेवन किया करें। आंवले का रस नाक में टपकाने रक्तस्त्राव बंद हो जाता है।
6. एक गिलास दूध में शक्कर मिलाकर दो केले 10 दिन तक सेवन करें, नकसीर फूटना बंद हो जाएगा।
7. पीछे की ओर लिटा कर रोगी की नाक में पांच – पांच बूंद देसी घी की डालें और सांस के साथ ही अंदर खींचें। इससे नकसीर आना बंद हो जाता है।
8. तुलसी के रस की चार – पांच बूंदें नाक में टपकाने से नाक का रक्तस्त्राव बंद हो जाता है।
9. प्रात: काल 1 सप्ताह तक नारियल गिरी खाएं तथा उसका पानी पिएं तो नकसीर में लाभ होता है।
10. प्याज का रस नाक में डालें, इससे नकसीर ठीक होती है तथा नाक का संक्रमण दूर होता हैं।
11. खूब ठंडा पानी लोटे से सिर पर धार बनाकर डालें तो रक्त स्त्राव बंद हो जाता है। ठंडे पानी की पट्टी सिर और नाक पर रख सकते हैं।
12. गाय के कच्चे दूध में फिटकरी घोलकर सुघने से नकसीर ठीक हो जाती है। फिटकरी वाले पानी की ठंडी पट्टी सिर पर रख सकते हैं।
13. आंवले के चूर्ण का नाक पर लेप करने से रक्त स्त्राव बंद हो जाता है।
14.गुड़ – शक्कर, चाय, काफी आदि गर्म पदार्थों का सेवन बंद कर दें।
जब गले में कुछ फस जाए
Muh Ka Upchar छोटे हो या बड़े अकसर सभी के साथ यह घटना घट जाती है। घर परिवार में बच्चे सभी के दुलारे होते हैं।
स्वभावतः शिशुओ की आदत होती है कि जो कुछ भी हाथ में आया नहीं कि मुंह में ले जाते हैं बड़े बच्चे भी आलपिन, कील, सिक्का आदि मुँह में डाल लेते हैं या मुँह में रखकर तरह – तरह के खेल करने लगते हैं, बस असावधानी में चीजें गले में अटक जाती है। शरारत करते हैं बच्चे और शामत आती है, माता-पिता या बड़ो की।
बस एकदम घबरा जाते हैं, कुछ सूझ नहीं पाता तो सीधे डॉक्टर या अस्पताल जा पहुँचते हैं। यह जरूरी नहीं कि ऐसा बच्चों के साथ ही हो बडो और समझदार के साथ भी ऐसी घटना घट जाती है, वे भी गलती कर बैठते हैं। यह घटना मामूली सी होती है। और इसका इलाज भी मामूली सा ही है।
घर परिवार के लोगों को इसका प्राथमिक उपचार करना अवश्य आना चाहिए। घर की महिलाओं को कुछ बातों की जानकारी होना बेहद जरूरी है।
लक्षण :-
ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।
- बेहद घबराहट महसूस होती है।
- दम घुटने लगता है।
- आंख से आंसू आने लगते हैं।
- त्वचा का रंग नीला पड़ने लगता है।
- बेहद बेचैनी का अनुभव होता है।
- सांस खींचने में अधिक जोर लगाना पड़ता है।
- मुंह से बिल्कुल बोला नहीं जाता।
- चेहरा और गर्दन लाल पड़ जाती है।
- श्वास अवरुद्ध होने पर कभी-कभी व्यक्ति भी हो जाता है।
प्राथमिक उपचार
बच्चे या बड़ो के साथ जब ऐसी घटना घट जाए तो निम्न कुछ तरीके इस्तेमाल में लाए।
1. पहले तो गले में उंगली डालकर फँसी हुई चीज को निकालने की कोशिश करें। और व्यक्ति बेहोश होने लगे तो उसे मुंह से कृत्रिम श्वास दें।
2. पीठ पर थपकीया दें। तुरंत व्यक्ति को खाँसने के लिए कहे, उसे आगे की ओर झुका कर खड़ा कर ले।
3. उसे झुकाकर उसकी पीठ पर जोर से थपकीया दें।
4. आराम ने आए तो मरीज के पीछे खड़े होकर पेट को फिर झटके के साथ पांच बार दबाए
5. वैसे तो इस क्रिया में गले में फंसी चीज बाहर निकल जाएगी, परंतु न निकले तो इन क्रियाओं को बार – बार दोहराएं, जब तक फंसी चीज निकल ना जाए।
6. शिशु है तो उसके मुंह में उँगली डालकर फँसी चीज का अनुमान करें और उंगली से निकालने की कोशिश करें।
7. बच्चे के पीछे खड़े होकर उसकी गर्दन आगे की और झुकाकर सीधी हथेली से उसके दोंनो कंधो के बीच पाँच थपकियाँ दे।
8. बच्चें के पीछे खड़े होकर उसके सीने पर दबाव डाले, और उसे जोर से खासने को कहें।
9. अगर अभी भी अटकी वस्तु नहीं निकली है तो पेट पर पाँच बार झटके के साथ दबाव डाले।
10. यदि प्राथमिक उपचार से बात न बने तो बिना समय गवाएं डॉक्टर के पास लें जाएं। बेहोश हो जाएं तो कृत्रिम श्वास देने की कोशिश करें। वैसे तो इन उपायों से गले में फँसी चीज़ अक्सर निकल आती है। ऐसे समय में होंसला बनाए रखे, घबराएं नहीं।
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