Suryakant Tripathi Nirala In Hindi – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय, Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के बारे में पूरी जानकारी आज की पोस्ट में हम आपको देंगे।

Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi
महाकवि निराला छायावाद के चार प्रमुख कवियों में से एक थे आधुनिक हिंदी साहित्य के विकास में में उनका महान योगदान है। उनका जन्म 21 February 1899, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में स्थित एक शहर के महिषादल नामक रियासत में बसंत पंचमी के दिन हुआ था। इनके पिता पंडित रामसहाय त्रिपाठी उन्नाव जिले के रहने वाले थे किंतु जीविकोपार्जन के लिए महिषादल नामक रियासत में आकर बस गए थे।
बचपन में ही निराला जी की माता का स्वर्गवास हो गया था उनके पिता अनुशासन प्रिय थे। इसलिए उनके इस स्वभाव के कारण बालक को अनेक बार- मार खानी पड़ी। 13 वर्ष की आयु में ही निराला जी का विवाह मनोहर देवी नामक कन्या से कर दिया गया था। किंतु वह एक पुत्र और पुत्री को जन्म देकर स्वर्ग सिधार गई।
निराला जी को साहित्य जगत में भी आरंभ में अनेक विरोधों का सामना करना पड़ा। उनकी अनेक रचनाएं व लेख अप्रकाशित ही लौटा दिए जाते थे महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उनकी जूही की कली कविता लुटा दी थी। किंतु बाद में उनसे मिलने पर द्विवेदी जी भी उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए बिना रह न सके।
सन1933 मैं निराला जी ने मतवाला नमक पत्रिका का संपादन किया। इसके पश्चात उन्होंने रामकिशन मिशन के ताश शनि का पत्थर समन्वय का भी संपादन किया। पुत्री सरोज के निधन ने निराला जी को बुरी तरह तोड़ दिया जीवन के अंतिम दिनों में तो वे विक्षिप्त से हो गए थे। जीवन में संघर्ष करते हुए और मां भारती का आंचल अपनी रचनाओं से बढ़ते हुए निराला जी सन 1961 में इस संसार से चल बसे।
Suryakant Tripathi Nirala Ki Rachnaye – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचनाएँ
निराला जी बहुमुखी प्रतिभा के सवामी थे उन्होंने साहित्य की विविध विधाओ पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई हैं और अनेक रचनाओ का निर्माण किया हैं उनकी प्रमुख रचनाए इस प्रकार है –
(क) काव्य संग्रह :- ‘परिमल’ ,’गीतिका’ ,’तुलसीदास’, ‘अनामिका’, ‘कुकुरमुत्ता’ ,’अणिमा’ ,’बेला’ ‘नए पते’ ,’अपरा’ ,’अर्चना’, ‘आराधना’ आदि।
(ख) कहानी संग्रह :- ‘लिली’,’ सखी ‘, ‘सुकुल की बीबी’ ,’चतुरी समाज ‘ आदि।
(ग). उपन्यास :- ‘ अप्सरा ‘, ‘अलका’ ,’प्रभावती’ ,’निरुपमा’ ,’छोटी की पकड़’ ,’काले कारनामे’ ,’चमेली’ ,आदि।
“कुल्ली भाट” तथा “बिल्लेसुर बकरिहा” उनके रेखाचित्र , आलोचना साहित्य , निबंध तथा जीवनी साहित्य की भी रचना की ओर अनुवाद के भी किया।
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Suryakant Tripathi Nirala – Suryakant Nirala काव्यगत विशेषता
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की काव्य यात्रा बहुत ही लंबी रही है। उन्हीने एक छायावादी , प्रगतिवादी तथा प्रयोगवादी कवि के रूप में हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनके ककव्य की कुछ प्रमुख विशेषता इस प्रकार है –
(1) वैयक्तिकता की भावना :- निराला जी के काव्य में वैयक्तिकता की भावना की प्रधानता है। “अपरा” की अनेक कविताओ में अपनी आरम्बिक अनुभूतियो को व्यक्त किया है। यह प्रकर्ति उनकी “राम की शक्ति पूजा” , “जूही की कली” आदि। कविताओ में देखी जा सकती है। सरोज स्मृति में कवि ने निजी दुख का वर्णन किया है –
दुख ही जीवन की कथा रही क्या कह आज,जो नही कही।
(2) विद्रोह का स्वर :- छायावादी कवियों में निराला एक ऐसे कवि है जिनके काव्य में विधरोह का सवर है। एक स्वच्छदतावादी कवि होने के कारण उन्होंने पुरातन रूढ़ियों तथा जड़ परमपराओं को तोड़ने का प्रयास किया। काव्य जगत में सबसे पहले मुक्त छंद का प्रयोग किया। भले ही इसके लिए उनको तत्कालीन साहित्यकारो तथा संपादको के विरोद को सहन करना पड़ा।
“सरोज स्मृति” नामक कविता में वे अपनी बेटी सरोज के वर से वे कहते है-
तुम करो ब्याह, तोड़ना नियम मैं सामाजिक योग के प्रथम लग्न के पडूंगा स्वयं मंत्र यदि पंडित जी होंगे स्वतन्त्र ।
(3) राष्ट्रीय चेतना :- महाकवि निराला जी के काव्य में देश प्रेम की भावना देखी जा सकती है वह सही अर्थों में राष्ट्रवादी कवि थे। “भारतीय वंदना”,” जागो फिर एक बार”, “तुलसीदास”, ‘छत्रपति शिवाजी का पत्र”आदि कविताओं में कवि ने देश प्रेम की भावना को व्यक्त किया है। उनकी कुछ कविताएं भारत की स्वतंत्रता को संदेश भी देती है। “खून की होली खेली” उन युवकों के समान में लिखी गई है।
जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। इसी प्रकार “जागो फिर एक बार” कविता में कवि भारत वासियों को यह संदेश देता है कि वह गुलामी के बंधन तोड़ कर देश को आजाद कराएं जागो फिर एक बार से एक उदाहरण देखिए –
समर अमर कर प्राण गाने गाए महा सिंधु से सिंधु नद तीर वासी सैंधव तुरंगो पर चतुरंग चमुसंग सवा सवा लाख पर एक को चढ़ाऊंगा, गोविंद सिंह निज नाम जब कहलाऊंगा।
(4) प्रकृति वर्णन :- छायावादी कवि होने के कारण निराला जी ने प्रकृति में अनेक चित्र अंकित किए हैं उन्होंने प्रकृति के आलंबन,उद्दीपन, मानवीकरण आदि विभिन्न रूपों का सुंदर चित्रण किया है बादलों में निराला जी को विशेष लगाव था अतः बादल राग संबंधी उनकी 6 कविताएं उपलब्ध होती है बादल राग की पहली कविता में कवि ने प्रकृति के आलंबन रूप का वर्णन करते हुए लिखा है-
बार बार गर्जन वर्षन है मूसलधार, हदय थम लेता संसार, सुन सुन घोर वज्र हुंकार।
इसी प्रकार देवी सरस्वती नामक कविता में कवि ने समर्था नवीन शैली अपनाते हुए शरद ऋतु का वर्णन किया है।
(5) प्रगतिवादी भावना :- निराला जी एक सच्चे प्रगतिवादी कवि थे उन्होंने जहां एक और पूंजीपतियों के प्रति अपना तीव्र आक्रोश व्यक्त किया है वहां दूसरी ओर शोषितो के प्रति सहानुभूति की भावना भी दिखाई है कुकुरमुत्ता तोड़ती पत्थर भिक्षुक विधवा आदि। कविताओं में कवि ने प्रगतिवादी दृष्टिकोण को व्यक्त किया है भिक्षुक से एक उदाहरण देखिए –
वह आता दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता। पेट पीठ दोनों मिलकर है एक, चल रहा लकुटिया टेक,
मुठी भर दाने को भूख मिटाने को, मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता
(6). प्रेम और सौंदर्य का वर्णन :– निराला जी ने अपने आरम्बिक काव्य में प्रेम और सौंदर्य का खुलकर वर्णन किया है। “जूही की कली” में कवि ने स्थल श्रृंगार का वर्णन किया है
परंतु अन्य कविताओं में उन्होंने बड़े उदात्त और पावन श्रृंगार का वर्णन किया है कुछ फसलों पर कवि का प्रेम वर्णन लौकिक होने के साथ साथ अलौकिक प्रतीत होने लगता है जिसके फलस्वरूप निराला एक रहस्यवादी कवि प्रतीत होने लगते हैं “तुम और मैं”, “यमुना के प्रति” आदि कविताओं में कवि की रहस्यवादी भावना देखी जा सकती है।
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की भाषा शैली
एक सफल छायावादी कवि होने के कारण निराला जी ने तत्सम प्रधान शुद्ध हिंदी भाषा का प्रयोग किया है निराला जी का भाषा के बारे में दृष्टिकोण बहुत उदार रहा है यदि कुछ स्थलों पर वह समाज बहुल बहुल संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते हैं तो अन्य सथलो पर वे सामान्य बोलचाल की भाषा का भी प्रयोग करते हैं।
उदाहरण के रूप में “राम की शक्ति पूजा” की भाषा संस्कृत निष्ठ है लेकिन “तोड़ती पत्थर” की भाषा सहज सरल और सामान्य बोलचाल की भाषा है “कुकुरमुत्ता” में कवि ने उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है अन्य कवि ने लाक्षणिक कथा प्रतीकात्मक पदावली का भी प्रयोग किया है इसके साथ साथ हैं
कवि ने अपनी भाषा में शब्दालंककारो के साथ साथ हैं अर्थालंकारो का भी प्रयोग किया है अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अतिशियोक्ति आदि अलंकारों का प्रयोग उनके काव्य में देखा जा सकता है पुनः निराला जी ने संपूर्ण काव्य मुक्त में ही लिखा है यही कारण है कि वे मुक्त छंद के प्रवर्तक माने गए हैं।
Suryakant Tripathi Nirala In Hindi से संबंधित FAQ
1. सूर्यकांत त्रिपाठी का निराला क्यों कहा जाता है?
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ( 1896 -1961) छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं। इनका व्यक्तित्व क्रांतिकारी और विद्रोही रहा है। निराला जी एक निडर कवि थे जो बिना किसी से डरे हुए समकालीन मुद्दों तथा समाज की कुरीतियों पर बेबाक लिखते थे। इन मुद्दों पर इनकी पैनी दृष्टि रहती थी और वह किसी से नहीं डरते थे यह अपनी मस्ती में विलीन होकर तेज़ी से और हक्कीत लिखते थे यह सब से अलग कभी थे इसलिए इनको निराला कवि कहा जाता है।
2. सूर्यकांत त्रिपाठी के ऊपर किसका प्रभाव पड़ा था *?
13 वर्ष की आयु में ही निराला जी का विवाह मनोहर देवी नामक कन्या से कर दिया गया था। किंतु वह एक पुत्र और पुत्री को जन्म देकर स्वर्ग सिधार गई। 1918 में पत्नी के चले जाने पर निराला जी पर गहरा प्रभाव पड़ा।
3. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पुत्री का क्या नाम था?
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पुत्री का सरोज नाम था
4. निराला जी के महाकाव्य का नाम क्या है?
निराला जी के महाकाव्य का नाम ‘कामायनी’ अनमोल कृति है
5. निराला की पहली कविता कौन सी है?
निराला की पहली कविता जन्मभूमि प्रभा नामक कविता है
6. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पिता का क्या नाम था?
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के पिता का पंडित रामसहाय त्रिपाठी नाम था
7. सूर्यकांत त्रिपाठी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
Suryakant Tripathi Nirala का जन्म 21 February 1899, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में स्थित एक शहर के महिषादल नामक रियासत में बसंत पंचमी के दिन हुआ था।
8. निराला को कैसे कवि माना जाता है?
निराला को क्रांतिकारी कवि माना जाता है
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